आद्य ऐतिहासिक काल (Proto History Period)
आद्य ऐतिहासिक काल (Proto History Period)
आद्य ऐतिहासिक काल उस काल को कहा जाता है जिसमे पुरातात्विक साक्ष्य तो मिले साथ ही लिखित साक्ष्य भी मिले लेकिन लिखित साक्ष्यों को पढ़ा नहीं जा सका। आद्य ऐतिहासिक काल को ही ब्रॉन्ज (Bronze) /कांस्य युग भी कहते है । क्योकि इस काल में तांबा और टीन को मिलाकर काँसे का उपयोग किया जाने लगा था।
सिंधु सभ्यता/ हड़प्पा सभ्यता:-
सिंधु सभ्यता नगरीय सभ्यता थी। इस सभ्यता में पाये जाने वाले स्थलों में 6 स्थलों को बड़े नगर की संज्ञा दी गई।
- 1) मोहनजोदड़ों
- 2) हड़प्पा
- 3) गणवारीवाला
- 4) धौलावीरा
- 5) राखीगढ़ी
- 6) कालीबंगन्।
सिंधु सभ्यता की खोज किसने की
सन् 1921 में दयाराम साहनी द्वारा हड़प्पा की खोज की गई थी। यह पहला स्थल था जहां सिंधु सभ्यता/ संस्कृति की खोज हुई थी। इसलिए सिंधु सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। सन् 1922 में राखलदास बेनर्जी द्वारा मोहनजोदड़ो की खोज की गई थी।
सिंधु सभ्यता की खोज कब हुई
वैसे तो सिंधु सभ्यता का कई पुरातत्वविदों द्वारा अलग अलग खोज के अनुसार अलग अलग काल/समय का निर्धारण किया गया था। परन्तु नवीन विश्लेषण पद्धति, रेडियोकार्बन C14 द्वारा सिंधु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2400 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व मानी जाती है। उस समय 4 नदी घाटी सभ्यतायें थी;
- 1) चीन की सभ्यता ( ह्वांगहो नदी पर),
- 2) सिंधु घाटी सभ्यता (भारत में) ,
- 3) मेसोपोटेनियम या सुमेरियन की सभ्यता,
- 4) नील नदी घाटी सभ्यता ( मिश्र )।
हड़प्पा सभ्यता/ सिंधु घाटी सभ्यता उस समय की इन सभी सभ्यताओं मे से सबसे बड़ी सभ्यता थी।
सिंधु सभ्यता को कितने नामों से जाना जाता है;
- हड़प्पा सभ्यता।
- सिंधु सभ्यता।
- सिंधु घाटी सभ्यता।
- सिंधु सरस्वती सभ्यता।
- कांस युगीन सभ्यता।
- प्रथम नगरीय सभ्यता।
सिंधु सभ्यता की भौगोलिक स्थिति
सिंधु सभ्यता का स्वरूप देखे तो ये क्षेत्र त्रिभुजाकार (🔺) था। यह उस काल का सबसे बड़ा सांस्कृतिक क्षेत्र था। इसका क्षेत्रफल लगभग 13 लाख वर्ग किमी. था। अब तक इस संकृति के 1000 स्थलों का पता लगाया जा चुका है। इन स्थलों में से कुछ आरंम्भिक अवस्था के स्थल है। कुछ स्थलों को परिपक्व अवस्था के स्थल माना गया है एवं कुछ को उत्तरवर्ती अवस्था के स्थल माना गया है।
परिपक्व अवस्था के स्थलों में से दो नगरों को अधिक महत्तवपूर्ण माना गया है क्योंकि इनकी खोज सबसे पहले हुई थी। 1) पंजाब में हड़प्पा स्थल तथा (2) सिंध का मोहनजोदड़ों नगर अर्थात ( प्रेतों का टीला) । ये दोनों स्थान वर्तमान में पाकिस्तान में है। (3) चन्हूदड़ों तीसरा स्थल था (4) गुजरात के खंभात की खाड़ी के ऊपर चौथा नगर लोथल था। (5) पांचवा नगर राजस्थान के उत्तरी भाग में कालीबंगा ( अर्थात काले रंग की चूड़ियाँ) तथा (6) हरियाणा के हिसार जिले का बनावली । ये सभी वे स्थल है जहां पर परिपक्व हड़प्पा सभ्यता या संस्कृति मिली है।
सिंधु सभ्यता के सर्वाधिक पुरास्थल
- 1. सबसे उत्तरी पुरास्थल चिनाब नदी के तट पर माँदा (जम्मू कश्मीर)।
- 2. सबसे दक्षिण पुरास्थल गोदावरी नदी के तट पर दाइमाबाद (जिला अहमद नगर, महाराष्ट्र )।
- 3. सबसे पश्चमी पुरास्थल दाश्क नदी के किनारे स्थित सुत्कागेंडोर (बलूचिस्तान)।
- 4. सबसे पूर्वी पुरास्थल हिंडन नदी के किनारे आलमगीरपुर ( जिला मेरठ, उत्तर प्रदेश)।
सिंधु सभ्यता की विशेषताए
- सिंधु सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी। ये दुनिया की पहली व्यवस्थित सभ्यता थी।
- सिंधु सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ माने जाते है।
- स्वतंत्रता के बाद हड़प्पा संस्कृति के सबसे ज्यादा स्थल गुजरात में खोजे गए।
- हड़प्पा सभ्यता की मोहरो पर एक श्रृंगी पशु का चित्र का अंकन था।
- सिंधु सभ्यता की लिपि भावचित्रात्मक थी। और यह लिपि दायीं से बायीं ओर लिखी जाती थी। लेकिन यदि अभिलेख बड़ा होता था तो पहले दायीं से बायीं ओर लिखते थे और दूसरी लाइन बायीं से दायीं ओर लिखी जाती थी।
- सिंधु सभ्यता |हड़प्पा सभ्यता में ग्रिड पद्धति अपनाई गई थी। अर्थात इस सभ्यता के लोग नगर और घरों के विन्यास के लिए ग्रिड पद्धति अपनाते थे।
- इस सभ्यता में घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ सड़क की तरफ नहीं खुलती थी बल्कि पीछे की और खुलती थी, केवल लोथल में दरवाजे सड़क की और खुलते थे।
- इस सभ्यता की मुख्य फसल गेंहू और जौ थी।
- इस सभ्यता के लोग कही आने जाने के लिए अर्थात यातायात के लिए दो पहिये अथवा चार पहिये की बैलगाड़ी, भैसागाड़ी का प्रयोग करते थे।
- सिंधु सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानते थे इसलिए उनकी पूजा करते थे।
- सिंधु सभ्यता के समय में मातृदेवी की उपासना सर्वाधिक प्रचलित थी ।
- सिंधु सभ्यता में स्त्री मृण्मूर्तियां ( मिट्टी की मूर्तियाँ) अधिक मिली थी। इसलिए ऐसा अनुमान लगाया गया की सिंधु सभ्यता या सैंधव समाज मातृसत्तात्मक था।
- सिंधु /हड़प्पा सभ्यता में वृक्ष पूजा और भगवान् शिवजी की पूजा का प्रचलन था इसके साक्ष्य भी मिले है।
- सिंधु घाटी में पाये गए नगरों में किसी भी मंदिर के साक्ष्य नहीं मिले है।
- सिंधु सभ्यता के लोगों द्वारा पशुओं में कूबड़ वाला साँड़ विशेष रूप से पूजे जाते थे।
- सिंधु सभ्यता के लोग लाल मिट्टी के बर्तन बनाते थे और उन पर काले रंग से डिजाइन किया करते थे।
- सिंधु सभ्यता के लोग मनोरंजन के लिए निम्न तरीके अपनाते थे। जैसे -शिकार करना, मछली पकड़ना, पशु पक्षियों को आपस में लड़ना, चौपड़ एवं पासा खेलना।
- सिंधु सभ्यता के लोग तलवार से परिचित नहीं थे।
- वे लोग सूती,ऊनी वस्त्रों का प्रयोग करते थे।
- पर्दा प्रथा भी इस समय थी।
- मेसोपोटामिया के अभिलेखों में मेहूला शब्द का वर्णन किया गया है। जिसका अभिप्राय सिंधु सभ्यता से है
- पिग्गट ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ों को एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वाँ राजधानी कहा है।